07 फ़रवरी 2010

"मार्ग दर्शक"

खोना पाना ,पाकर फिर खोना,
यही है बस जीने की राह ,
कुछ पाकर खोने का डर,
खो कर फिर पाने की चाह,

देखे ऐसे भी लोग यहाँ ,
न हारें कभी ,न थकते कभी,
जो हैं पाने खोने से ऊपर,
ये चलते चलें ,रुकते न कभी

उनका जीवन बस अगला पल ,
अगले क्षण में पूरा जीवन ,
खुशियाँ बीनें ,ये हर दुःख में,
हर सूखे में देखें सावन

लड़े रोज़ तूफानों से,
हर पल डूबें ,हर पल उबरें ,
टूट भी जाए नाव तो क्या ,
वो फिर से नयी कश्ती गूंधे ,

हर अन्धियारें से लड़ने का ,
अब राज़ समझ में आया है,
हैं अपना उजाला, हम खुद ही ,
इन जैसों ने सिखलाया है |


- योगेश शर्मा

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