खोना पाना ,पाकर फिर खोना,
यही है बस जीने की राह ,
कुछ पाकर खोने का डर,
खो कर फिर पाने की चाह,
देखे ऐसे भी लोग यहाँ ,
न हारें कभी ,न थकते कभी,
जो हैं पाने खोने से ऊपर,
ये चलते चलें ,रुकते न कभी
उनका जीवन बस अगला पल ,
अगले क्षण में पूरा जीवन ,
खुशियाँ बीनें ,ये हर दुःख में,
हर सूखे में देखें सावन
हर सूखे में देखें सावन
लड़े रोज़ तूफानों से,
हर पल डूबें ,हर पल उबरें ,
टूट भी जाए नाव तो क्या ,
वो फिर से नयी कश्ती गूंधे ,
हर अन्धियारें से लड़ने का ,
अब राज़ समझ में आया है,
हैं अपना उजाला, हम खुद ही ,इन जैसों ने सिखलाया है |
- योगेश शर्मा
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