- प्रिय पापाजी के नाम
चेहरे की सिलवटों में हैं
यादें छुपी हुईं
वो भूले दिन,वो बिसरी सब,
रातें छुपी हुई
रातें छुपी हुई
हर लम्हे की तहरीर
सिमटी है झुर्रियों में,
जो बाँट न सके सब
बातें छुपी हुई
कहना गलत है
जिंदगी में सब बुरा हुआ,
इस झोली में हैं कितनी
सौगातें छुपी हुई
चेहरे की सिलवटों में हैं
यादें छुपी हुईं
वो भूले दिन वो बिसरी सब,
रातें छुपी हुई |
सौगातें छुपी हुई
चेहरे की सिलवटों में हैं
यादें छुपी हुईं
वो भूले दिन वो बिसरी सब,
रातें छुपी हुई |
- योगेश शर्मा
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