25 अप्रैल 2010

"देश किसे कहते हैं ?"



तिरंगा ये  झंडा या सीमा की रेखा है
 हमने क्या सचमुच देश को देखा है?
क्या रूप है उसका जिसे देश कहते हैं
वो हम में बसता या हम उसमें रहते हैं?

एक नक्शा विदेश में देश कहलाता  है
देश पहुँच के वो शहर बन जाता है
 सड़कों, मोहल्ले,फिर गलियों से हो कर
अपने छोटे से घर में सिमट आता है

बनता मुस्कान पिता की और भाई का प्यार
कभी गर्म गर्म रोटियों में माँ का दुलार
कोई नटखट सा बेटा,कोई छोटी सी बहना है
कभी बेटी जो गौरव है कभी पत्नी जो गहना है

क्या देश सच में घर या भाषा है?
या दोस्त,परिवार,रिश्तों का दिलासा है
क्या प्रदेश,शहर,कूचा और कस्बा है
या देश इन सब का मिला जुला जज़्बा है?

देश ना घेरा,ना देश कोई नक्शा है
देश इक तसल्ली है, देश इक सुरक्षा है
देश एक सपना है,देश एक आशा है
देश तो दिल है,यही इसकी परिभाषा है।


- योगेश शर्मा

3 टिप्‍पणियां:

  1. न देश कोई घेरा है, ना देश कोई नक्शा है,
    देश इक तसल्ली है, देश इक सुरक्षा है,
    देश इक सपना है, देश इक आशा है,
    देश मेरा दिल है, यही इसकी परिभाषा है |
    jajawaab shabd kam pad gaye...

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  2. योगेश जी,बहुत सुन्दर रचना लिखी है बधाई स्वीकारें।

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  3. धन्यवाद् बाली साहब और दिलीप भाई

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