30 मई 2010

'मैं किस तरफ हूँ'




उस तरफ सिर्फ, भूख.....ग़ुरबत.....बेबसी
आह !! कितना सुकून
कि मैं इस तरफ हूँ,
दीन कर्म की बातें, सच्चाई के किस्से
लगते हैं अच्छे,
क्योंकि .......  मैं इस तरफ हूँ

क्यों नीलाम होतें हैं लोग,
गुनाह क्यों करते हैं
फैलाते हैं हाथ,
क्यों मेहनत  से डरते हैं
क्यों  छीना झपटी है, क्यों है लूटमार 
नहीं जान पाता इतनी सी बात.......क्योंकि मैं इस तरफ हूँ 
 
भरे पेट भूख समझना नामुमकिन है,
जानता हूँ ,
पता नहीं, ख़ुद भूखा होता तो क्या करता 
पाप, पुण्य, मानवता, मोक्ष
क्या समझ पाता 
इस दुनिया से कितना जलता .........अभी जिस तरफ हूँ 
 
अपनी तरफ की दुनिया को भी,
थोड़ा गौर से देखा  है, 
यहाँ जरूरतों की परिभाषा,
गुनाहों की वजह दूसरी है, 
यहाँ भरे पेट, भरी जेब ,वही काम होते हैं 
भूख के मायने हैं दूसरे........ मैं जिस तरफ हूँ 
उधर भी भूख ......इधर भी भूख 
कर रहा  हूँ कोशिश, कि  पहचानूं ...... मैं किस तरफ हूँ

मैं किस तरफ हूँ??.....  मैं किस तरफ हूँ??  


- योगेश शर्मा

8 टिप्‍पणियां:

  1. सामजिक विषमताओं और इनके जरिये उत्पन्न होने वाली परिस्तिथिओं को दर्शाती आपकी रचना बढ़िया लगी

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  2. समाज का सटीक चित्रण करती रचना है....बधाई स्वीकारें।

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  3. बेनामी30/5/10 12:43 pm

    achhi rachna...
    aur bahut bahut dhanyawaad...

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  4. waah sir..samaaj ki deewar ke is paar aur us paar ki kahani bade hi sateek dhang se pesh ki...lajawaab...jaane ye deewaar kab tootegi aur insaaniyat is taraf bhi hogi aur us taraf aur ye taraf ki kahani bhi khatm ho jayegi...

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  5. अच्छी रचना ..शैली कहीं-कहीं कुछ जटिल अवश्य है परन्तु प्रभावशाली और सामर्थ्य लिए हुए ...अंत बेहतरीन ..

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  6. bahut sunder bhavokee abhivykti aapkee samvedansheelta ko ujagar kartee achee rachana.........

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  7. पहली बार इस ब्लॉग पर आई हूँ-बहुत खूब कहते हैं आप!

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