02 जून 2010

कविता, तू वापस आयेगी





खामोश होके दूर मुझसे, कब तलक रह पायेगी,
दस्तक ख्यालों में देगी, ख़्वाबों को जगमगाएगी,
लिपटेगी फ़िर कलम से, मेरे होंठों से गुनगुनायेगी,
वादा ख़ुद से है मेरा, कविता तू वापस आयेगी,

कविता, तू वापस आयेगी...........

जब भी सुबह की किरन पर्वतों को चूमेगी,
जब भी बूंदें ओस की पत्तियों पे झूमेगी,
छन के जब बादलों से रौशनी आयेगी,
सांझ जब भी आसमां पे तस्वीरें सजायेगी,
हंस के बल खाती नदी हाथ जब हिलायेगी,
दिल जब भी धड़केगा, सांस जब भी गायेगी,
कविता, तू वापस आयेगी...........

 एक चाँद जब जमीं पर दूजा फ़लक पर होगा,
बस एक शख्स ही जिंदगी का मकसद होगा,
बाहों में बंधी बाहें होंगी कन्धों पे होँगे सर,
जब भी पलों में बेगाने, दिल में करेंगे घर,
जब भी होँगे वादे , कोई कसम खायी जाएगी,
जब जब किसी चिट्ठी से  , फूलों की महक आयेगी,
कविता, तू वापस आयेगी...........


जब कभी नींद को, न बिस्तर की जरूरत होगी,
एक मुस्कान ही, हर दर्द की राहत होगी,
जब कोई रात, फिर होगी बसर आखों में,
जब एक और दिन, यूंही कटेगा फाकों में,
किसी बच्चे को सारी रात, भूख जब रुलाएगी,
रो- रो के कली कोई, कहीं पंखुरी लुटायेगी,

कविता, तू वापस आयेगी...........


जायेगी कोई पुकार, जब भी आसमां की ओर,
जब भी खुदा दिखेगा, हर शै में चारों ओर,
बुझाने जमीं की प्यास, गिरेगी जब फुहार,
खिलेगा कोई फूल, मुस्कुराएगी बहार,
कोई नन्ही किलकारी, कानों में खिलखिलायेगी,
प्यार से माँ कहीं, जब लोरियां सुनायेगी,

कविता, तू वापस आयेगी...........कविता, तू वापस आयेगी





- योगेश शर्मा

3 टिप्‍पणियां:

  1. poori kavita hi lajawaab har baar ki tarah....par in panktiyon ne man chhoo liya...
    जब कोई रात, फिर होगी बसर आखों में,

    जब एक और दिन, यूंही कटेगा फाकों में,

    किसी बच्चे को सारी रात, भूख जब रुलाएगी,

    रो- रो के कली कोई, कहीं पंखुरी लुटायेगी,

    जवाब देंहटाएं
  2. जायेगी कोई पुकार, जब भी आसमां की ओर,

    जब भी खुदा दिखेगा, हर शै में चारों ओर,

    बुझाने जमीं की प्यास, गिरेगी जब फुहार,

    खिलेगा कोई फूल, मुस्कुराएगी बहार,

    कोई नन्ही किलकारी, कानों में खिलखिलायेगी,

    प्यार से माँ कहीं, जब भी लोरियां सुनायेगी,

    अति सुन्दर पंक्तिया ,,,, ,, सुन्दर लेखन ,,,एक अच्छी कविता

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