18 जून 2010

"आंच अभी बाकी है"

हमने, अपने आस पास, ऐसे बहत से लोगों को देखा होगा जो अब बूढ़े हो चुके हैं..... कमज़ोर हो चुके हैं |
हमारी नज़रों में, शायद अब ये लोग कुछ विशेष न रह गए हों और यह भी संभव है कि कहीं ना कहीं ये लोग भी कहीं अपना आत्म विश्वास खो चुके हों | इनमे से कईयों को तो हमने पाया होगा, एक भावशून्य चेहरा लेकर, चुपचाप बैठे हुए ,ऐसा आभास देते हुए, जैसे उन्हें या तो अब ज़्यादा कुछ समझ नहीं आता, या शायद आस पास हो रही चीज़ों का कोई एहसास नहीं रह गया है |
अगर हम इनको पहले से न जानते होते, तो शायद इनको देख कर ये नहीं मान पाते कि कभी ये लोग भी जीवन, ऊर्जा,  विचारों और कर्म से, उतने ही भरपूर रहे होंगे, जितने, आज हम हैं |
यह कविता, सलाम है, उम्र के उस पड़ाव को जिसे बुढ़ापा कहते हैं| जहाँ पर आज ये सभी हैं और जिसकी तरफ हम सब भी हर रोज़ बढ़ रहे हैं...थोड़ा थोड़ा सा |
साथ ही साथ यह एक सन्देश भी है, जो शायद, ये लोग अपनी आँखों से हमें देना चाहते हैं

                                                          "आंच अभी बाकी है"




उठ जातीं हैं नजरें कभी, चुपके से या डरते हुए,
दिख जाते हैं चेहरे कई, चेहरा मेरा पढ़ते हुए,

खोजते इस शक्ल पर, वो रंग जो छाते नहीं,
दिल से निकलते हैं सही, चेहरे तलक आते नहीं,

छाते अगर, तो बोलते, है तिशनगी बाकी अभी,
बेजान सी आँखों में है, रौशनी बाकी अभी,

कांपते हाथों में अब भी, हौसलों की ताब है,
ठन्डे पड़े दिल में कहीं, जल रही इक आग है,

इस नयी दुनिया को लगती, सुस्त अब ये चाल है,
दौड़ा बहुत हूँ उम्र भर, इसलिए ये हाल है,

दिखती होगी चेहरे पे, सिर्फ स्याही उम्र की,
सिलवटों की तह में छुपी, हैं हसरतें बाकी कई,

यादों की सूखी रेत को, मुट्ठी में अब कसते हुए,
गुज़रे पलों को ताकता हूँ, पोरों से बस गिरते हुए

उठ जातीं हैं नज़रे कभी, चुपके से या डरते हुए,
दिख जाते हैं चेहरे कई, चेहरा मेरा पढ़ते हुए




- योगेश शर्मा

4 टिप्‍पणियां:

  1. इस नयी दुनिया को लगती, सुस्त अब ये चाल है,
    दौड़ा बहुत हूँ उम्र भर, इसलिए ये हाल है.
    योगेश शर्मा जी आप बहुत बेहतीन सूच के मालिक हैं. यह पोस्ट और आप की कविता हकीकत के इतने पास है की , दिल खुश हो गया और हमारे समाज के बुज़ुर्ग हमारा धरोरार हैं. अगर किसी विद्यावान को सामने बैठा के जाहिल से लोग सीखें तोह उस विद्यावान की हालत ऐसी ही होगी जैन आज इन बुज़र्गों की. इनके तजुर्बे से हमको सीखना चाहिए.

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  2. bahut sundar kavita...bahut kuch sochne ko ajboor karti hai...

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  3. behatariin prastuti .........aapka post padhkar achchha lagaa......ab to aana hoga

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