13 जुलाई 2010

'मंजिले दिखती हैं मुझको'



मंजिले  दिखती हैं मुझको  सिर्फ  तेरे  साथ  में
मेरी  किस्मत की लकीरें कैद तेरे हाथ  में

मेरे इरादों को हवा दो, चाहे पानी फेर दो
दोनों बातों से लगेगी आग़, इन ज़ज्बात में

मिले गये तुम तो संभालेंगे बची हर सांस  को
वरना खर्चेंगे यूँ जैसे मिली हो खैरात  में


इश्क की किस्मत में कितने और अफ़साने बचे  
वक़्त  क्यूं ज़ाया करें बेकार सवालात  में


चारागर ऐसे बनो मत मर्ज़ पढ़ ले जो सभी
ख़ुदा होने का होता है भरम इन हालात में


- योगेश शर्मा

5 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे इरादों को हवा दो, चाहे पानी फेर दो
    दोनों बातों में लगेगी, आग़ इन ज़ज्बात में

    और फिर ज़ज्बात की आग कुछ नयी रचनाओ से रूबरू करवायेगी ही.
    सुन्दर खयालो की रचना

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  2. shabdoko uchit ukera hai aapne..........badhiya prastuti

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  3. प्यार का दर्द से मूल संबंध है
    ये किसी जन्म का मौन अनुबंध है

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  4. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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  5. Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

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