30 जुलाई 2010

'स्मृतियाँ'




पुराने  चित्र,किताबें ,कपड़े, सूखे पुष्प
क्यों संभालूं,संजों के रखूँ कहीं
कोई वस्तु, कोई चिन्ह बचा के क्या करूं  
मेरी स्मृतियाँ अवशेषों पे निर्भर नहीं

हैं येअंश मेरा ,जीवित हैं मेरे अन्दर,
असंख्य दीप शिखाएं,अविरल जल रहीं
अलोकिक,असीम हैं ये गतिमान सदा 
न नश्वर हैं, ना इनमें झुरियां पड़ रहीं
मेरी स्मृतियाँ अवशेषों पे निर्भर नहीं 

ये सूचक हैं मैंने जीवन से कितना पाया     
सर्वदा ये मेरा आत्म बल रहीं
नित नये वृत्तांत,नयी खोज,संस्मरण नये  
हर पल अनदेखी स्मृतियाँ आलिंगन कर रहीं

मेरी स्मृतियाँ अवशेषों पे निर्भर नहीं  |

4 टिप्‍पणियां:

Comments please