17 अप्रैल 2011

क्यों...क्यों...क्यों



बंद क्यों, दरवाज़े दिलों के
बस खुली हैं खिड़कियाँ,
झांकना औरों के घर में,
क्यों बनीं कमजोरियां ?

खोखले रिश्तों के अपने,
खोल में लिपटे हुए,
नापकर होते हैं खुश क्यों,
लोगों के दिल की दूरियां,

क्या किया, किसने किया,
हर बात का रखा हिसाब,
याद के खातों से ग़ुम क्यों,
अपनी ही नादानियाँ,

छोड़ हल्की- फुल्की खुशियाँ,
अब ढूँढ़ते हैं सनसनी,
दिल को क्यों छूती नहीं,
सच्ची सीधी कहानियां,

हरियाली को बदला शहर में,
तरक्की से इतना था प्यार,
फिर लौटते हैं जंगलों में,
क्यों हम मनाने छुट्टियाँ,

एक तरफ तो भागते हैं,
पकड़ने, आने वाला कल,
पुरानी तस्वीरों से मांगें,
क्यों बीती जिंदगानियां,

खौफ में, उस वक्त के,
जो अभी आया नहीं,
गुज़रते नन्हे पलों की
देते क्यों कुर्बानियां ???




- योगेश शर्मा

11 टिप्‍पणियां:

  1. हरियाली को बदला शहर में,
    तरक्की से इतना था प्यार,
    फिर लौटते हैं जंगलों में,
    क्यों हम मनाने छुट्टियाँ,

    हकीकत बयान करती सुंदर कविता. भावों को बहुत अच्छी तरह संजोया है. अभिनन्दन.

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या किया, किसने किया,
    हर बात का रखा हिसाब,
    याद के खातों से ग़ुम क्यों,
    अपनी ही नादानियाँ,

    apani galtiyon ko to hum aasani se maaf kar dete hain, aur doosaron ki highlighter laga ke chamkate hain...khubsoorat rachna...

    जवाब देंहटाएं
  3. हकीकत बयान करती सुंदर कविता

    जवाब देंहटाएं
  4. एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  6. बंद क्यों, दरवाज़े दिलों के
    बस खुली हैं खिड़कियाँ,
    झांकना औरों के घर में,
    क्यों बनीं कमजोरियां ?

    खोखले रिश्तों के अपने,
    खोल में लिपटे हुए,
    नापकर होते हैं खुश क्यों,
    लोगों के दिल की दूरियां,


    क्या किया, किसने किया,
    हर बात का रखा हिसाब,
    याद के खातों से ग़ुम क्यों,
    अपनी ही नादानियाँ,


    छोड़ हल्की- फुल्की खुशियाँ,
    अब ढूँढ़ते हैं सनसनी,
    दिल को क्यों छूती नहीं,
    सच्ची सीधी कहानियां,

    इक तरफ तो भागते हैं,
    पकड़ने आने वाला कल,
    पुरानी तस्वीरों से मांगें,
    क्यों बीती जिंदगानियां

    yogeshjee...
    इंसान की फितरत का सही का काफी कुछ सही चित्रण किया है
    आपकी हर एक लाइन अपने भावों ke साथ खरी उतरती है...
    इन
    "???????? "
    उत्तर मिल जाएँ तो मुझे भी बताएं...!!

    जवाब देंहटाएं
  7. छोड़ हल्की- फुल्की खुशियाँ,
    अब ढूँढ़ते हैं सनसनी,
    दिल को क्यों छूती नहीं,
    सच्ची सीधी कहानियां,
    आज की जिंदगी का सुदर चित्रण ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
    मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

    जवाब देंहटाएं
  9. Bahut sunder rachna......
    ye pankti bahut achi lagi-"nanhe palon ki dete kyun kurbaniyaan:(

    जवाब देंहटाएं

Comments please