11 जून 2012

'बाकी है'


गुलोँ में ख़ुशबू 
रंगों में असर बाकी है
बहार लुटने में 
अभी थोड़ी कसर बाकी है 
  
दिल के दरवाज़े पे 
तुम कान लगाए रखना  
इसके रस्ते पे 
एक  रहगुज़र बाकी है

दौर- ए- गर्दिश उसे  
अब चाहे जितना तोड़े   
तेरे फ़नकार में 
जुड़ने का हुनर बाकी है 



गुलोँ में ख़ुशबू 
  रंगों में असर बाकी है.....



- योगेश शर्मा


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  2. बहुत खूब ... लाजवाब रचना है ...

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  3. सब ख़त्म हो के भी कुछ तो बाक़ी है ....क्यूंकि इसी उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।

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  4. तेरे फ़नकार में
    जुड़ने का हुनर बाकी है


    बहुत सुंदर....

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