16 अक्तूबर 2012

'आसमां मिल जाएगा'



ज़मीं को सजदा करो आसमां मिल जाएगा
ख़ुद को ढूंढोगे अगर शायद ख़ुदा मिल जाएगा

हाथ चाहे छूट जाएँ राहें गुम हों जाए सब
दौर- ऐ-गर्दिश में मगर अपना पता मिल जाएगा

बैठे बैठे बस दिखेंगे रेत के उड़ते निशाँ 
चलते क़दमों को कहीं तो कारवां मिल जाएगा

कोशिशें करते हो इतनी घर दिलों में करने की 
दिल में अपने झाँक लो सारा जहां मिल जाएगा

ये उफनती मौज ,तूफ़ा और अंधियारा घना
इन में से ही कोई हमको नाख़ुदा* मिल जाएगा


* ( नाखुदा - मल्लाह )


- योगेश शर्मा 

8 टिप्‍पणियां:


  1. ज़मीं को सजदा करो आसमां मिल जाएगा
    ख़ुद को ढूंढोगे अगर शायद ख़ुदा मिल जाएगा !


    कोशिशें करते हो क्यों लोगों के दिल में बसने की
    दिल में अपने झाँक लो सारा जहां मिल जाएगा !

    सही कहा...
    "मो को कहाँ ढूंढें रे बंदे...."

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  2. ज़मीं को सजदा करो आसमां मिल जाएगा
    ख़ुद को ढूंढोगे अगर शायद ख़ुदा मिल जाएगा

    हाथ चाहे छुट जाएँ राहें गुम हों जाए सब
    दौर- ऐ-गर्दिश में मगर अपना पता मिल जाएगा

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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  3. वाह....
    बहुत बहुत सुन्दर गज़ल....
    लाजवाब शेर.

    अनु

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