01 अगस्त 2014

'साथ अपने अपनी ही आवाज़ है'


चाहे कोई नाम लेकर न पुकारे
साथ अपने अपनी ही आवाज़ है
खुश न हो ऐ वक्त मेरे पर क़तर कर
हौसलों की बाकी अभी परवाज़ है

 दिल के फ़लक पे टाँके फिर से ख्वाब सारे
चल पड़ा नज़रों में भरकर चाँद तारे
ज़माने का था गुज़रा कल मेरे संग आज है
साथ अपने अपनी ही आवाज़ है

बढ़ चला अपने इरादों का सफ़ीना
करेगी चाक पतवारें तूफानों का सीना
नयी हैं कश्ती- ए-मंज़िल नया आगाज़  है
साथ अपने अपनी ही आवाज़ है

खुश न हो ऐ वक्त मेरे पर क़तर कर
हौसलों की बाकी अभी परवाज़ है... 

 



- योगेश शर्मा 

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