03 जुलाई 2016

'कई बार ये भी होता है'






कई बार ये भी होता है
आये नज़र न हमसफ़र
पर साथ कोई होता है
कई बार ये भी होता है

सोते हुए भी यूं लगे
शब् कट रही है जगे जगे
तन्हाई हो, पहलू में पर
एहसास एक सोता है

कई बार ये भी होता है

हो अजनबी कितना सफ़र
अपनी लगे हर रहगुज़र*
कभी छाँव साथ कभी धूप का
कंधे पे हाथ होता है

कई बार ये भी होता है

ये राह के पर्वत कभी
संग चलते हों जैसे सभी
जो दिखते हैं थमे थमे
उनका सफ़र भी होता है

कई बार ये भी होता है

 देखा है ये कितनी ही बार
ताबीर की फ़स्ले -ए -बहार
है काटता कोई और ही
और सपने कोई बोता है

कई बार ये भी होता है

कभी कहकहों सी सुबह खिले
कहीं ग़म की सूनी सहर मिले
क्यों पाने की खुशियां नहीं
खोने का दर्द होता है

कई बार ये भी होता है
     कई बार ये भी होता है....


* रहगुज़र - रास्ता


योगेश शर्मा 

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