tag:blogger.com,1999:blog-1639910315310077662.post2966272839120670372..comments2023-10-31T15:21:04.255+05:30Comments on "बे - तकल्लुफ़": 'सन्नाटों की आवाजें'Yogesh Sharmahttp://www.blogger.com/profile/13296401748828517861noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1639910315310077662.post-63028145568834687912011-10-12T00:34:02.033+05:302011-10-12T00:34:02.033+05:30दीवारों पर कान सटाए
दीवाने बैठे रहते हैं
राज़ ज...दीवारों पर कान सटाए <br />दीवाने बैठे रहते हैं <br />राज़ जानने की ख्वाहिश में <br />अनजाने बैठे रहते हैं <br />कुछ झूठ पकड़ने आसाँ है <br />सच्चाई समझना मुश्किल है <br /><br />खामोशी के शोर से रिश्ते<br />काफी गहरे होते हैं <br />दिल में चीखें उठती हैं<br />लब पर पहरे होते हैं <br />कुछ बातें सहनी आसाँ हैं<br />लेकिन कहना मुश्किल है <br />सन्नाटों की आवाजें <br />सुनना थोड़ा मुश्किल है<br /><br />"और गूंजती सन्नाटे में<br />घुटी घुटी कुछ आवाजें<br />बनते वो आवाज किसी की <br />और किसी की बन चीखें <br />दिल पर देते जख्म किसी को<br />ऐसे सहना मुश्किल है....<br />दो चेहरे वाले शख्स हैं कुछ<br />पहचानना जिनका मुश्किल है...!!"***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.com