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04 मई 2020

'अब उसे याद करता नहीं'



अब उसे याद करता नहीं
भूल भी तो पाया नहीं
जुदा हो सका न एक पल
साथ भी मेरे आया नहीं

मुझे उजालों की तमन्ना
और वो रात का जुगनू निकला
रौशनी में नज़र न आया वो
अँधेरा मुझको रास आया नहीं

ज़रूरतों का हाथ थामा जो
अपने अरमान मुट्ठी से छूटे
हक़ीकतें ख़फ़ा ख़फ़ा सी रहीं
ख़्वाबों का भी हो पाया नहीं

कभी बच बच के रहा उससे
फिर कभी उसको थामने दौड़ा
साथ उसका रहा वक्त के जैसे 
संग जिसके मैं चल पाया नहीं

अब उसे याद करता नहीं
भूल भी तो पाया नहीं।


- योगेश शर्मा

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