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07 फ़रवरी 2022

'आसमां से इक सितारा'

 



आसमां से इक सितारा मेरी छत प
देखता रहता है मेरी ओर अक्सर

दूर से तकता हूँ बस चुपचाप उसको
वो झिलमिला के दे कई पैग़ाम मुझ को

बादलों में ग़ुम कभी हो जाए जब
दिल का फ़लक़ वीरान सा हो जाये तब

आसमां की छानता हूँ सारे राहें
जम सी जाती हैं घटाओं पर निगाहें

चिलमन हटा कर जब कभी बाहर वो आये
उसकी चमक चेहरे पे मेरे जगमगाये

सिलसिला कबसे न जाने चल रहा है
एक दीपक हसरतों का जल रहा है

छूने उसे यूं हाथ तो अक्सर बढ़ाये
पर सितारे भी कभी क्या हाथ आये

डर रहा हूँ साथ न छूटे हमारा
ख्वाब सा ग़ुम हो न जाए वो सितारा

थोड़ा डर और हसरतें पलकों में भर कर
फिर पहुँच जाता हूँ मैं हर रात छत पर

आसमां से इक सितारा मेरी छत प
देखता रहता है मेरी ओर अक्सर ।

 

- योगेश शर्मा

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