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09 जून 2012

'आस्मां है किधर '




 
सितारों के आगे जहाँ है किधर 
कोई तो कहो आस्मां है किधर 
 
यहाँ इंसान  देखे ज़माना है गुजरा 
क्यों परेशान हो खुदा है  किधर   
 
सच देखती थी सही बोलती थी  
कहाँ है वो आँखें, जुबां है  किधर   

 सहर रात से रास्ता पूछती है  
पूछूं मैं किसको, है मंजिल  किधर   
 
पसीने में सब बह चुकीं हैं लकीरें 
नसीबों का जाने निशाँ है किधर 

छोटी सी रोटी दिखा देना उसको 
कोई पूछे ग़र दास्ताँ है किधर 
 
सितारों के आगे जहाँ है किधर 
कोई तो कहो आस्मां है किधर 




- योगेश शर्मा 

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