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14 मार्च 2015

'ऐ ज़िन्दगी'


ऐ ज़िन्दगी
क़दमों में साँसे डालती रहना
गिरने दे अभी 
फिर कभी संभालती रहना

राहों में लड़खड़ाने का
दे लाख मुझे खौफ्
उठने का जिगर
मुझमे बस पालती रहना

 हकीकतें ज़मीं की 
दामन जो पकड़ लें
सपनों की तरफ फिर मुझे 
उछालती  रहना

ज़ख्मों पे अपने, अश्क भले 
बर्फ हों जाएँ
ग़म - ए- जहाँ पे दोस्त 
लहू उबालती रहना

ऐ ज़िन्दगी
क़दमों में साँसे डालती रहना।।




- योगेश शर्मा

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