कितने नए करिश्में हर पल दिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
कब जीत को मनाना कब हार में चुप रहना
कब रुक के साँस लेना कब तोड़ हदें बहना
कभी कोशिशों में गिरना फिर उठ के आगे बढ़ना
ख़्वाबों में नहीं, ख़्वाबों को जीना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
अपने को थामना जब कोई और न संभाले
एक दीप बनके जलना खो जाएँ जब उजाले
ख़ुद को ही अपना साथी और कारवां बनाले
अंतर- मन से अपने जुड़ना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
अक्सर नज़र वो आये चाहें जो देखना हम
अपने कभी हैं लगते दूसरों के भी ग़म
लगता कभी पराया कोई दोस्त कोई हमदम
नज़रें नहीं नज़रिया बदलो बता रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
खानी है हंस के ठोकर हर दर्द पीना होगा
जब तक है सांस बाकी खुल के जीना होगा
गर्दिश की सुइयों में बर्दाश्त को पिरो के
चुपचाप ज़ख्म सारे सीना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
- योगेश शर्मा
खानी है हंस के ठोकर हर दर्द पीना होगा
जवाब देंहटाएंजब तक है सांस बाकी खुल के जीना होगा
गर्दिश की सुइयों में बर्दाश्त को पिरो के
चुपचाप ज़ख्म सारे सीना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है
ज़िन्दगी हमेशा चलना सिखा रही है,,,,,बहुत सुंदर और सत्य को प्रस्तुत करती रचना ज़िन्दगी हमेशा कुछ न कुछ सिखाती रहती है ।