अपने अपने दुखड़ों की
है पोटली सबके दामन में
अपने अपने हिस्से का ग़म
यहाँ हर किसी को सहना है
अपने अपने झूठ की गठरी
है हर एक के काँधे पर
अपने अपने सच का सबको
राज़ छुपाये रखना है
अपने अपने हिस्से का ग़म यहाँ हर किसी को सहना है
अपनी यादों के मीत कई
हम में हर एक को खोने हैं
अपने अपने हिस्से के शव
हम सबको ख़ुद ही ढोने हैं
दिल, दिमाग और आत्मा में
बाँट के थोड़ा थोड़ा सा
अपने अपने बोझ के संग
सबको जिंदा रहना है
अपने अपने हिस्से का ग़म यहाँ हर किसी को सहना है
कभी दिया किसी को थोड़ा भी
कभी लिया किसी से थोड़ा भी
कभी छीना है कुछ लालच में
कभी हाथों को है जोड़ा भी
अपने पुण्यों का कुछ अमृत
चाहे ना भी हाथ लगे
अपने पापों का स्वाद मगर
हम सभी को चखते रहना है
अपने अपने हिस्से का ग़म यहाँ हर किसी को सहना है
दर्द को भूलें, चाहे छुपायें
चाहे जितना जज़्ब करें
आंसू लेकर आँखों में
फिर भी हँसते रहना है
रुकने वाला पत्थर बन कर
राहों में खो जाता है
पीड़ाएं अपनी साथ लिये
बस चलते ही रहना है
अपने अपने हिस्से का ग़म यहाँ हर किसी को सहना है |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया है ....
कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
(आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
http://oshotheone.blogspot.com/
कृष्ण जन्माष्टमी के मंगलमय पावन पर्व अवसर पर ढेरों बधाई और शुभकामनाये ...
जवाब देंहटाएंsach kaha aapne.... apne apne hisse ka gam hi ek poonji hai hamare paas......
जवाब देंहटाएंmere blog par is baar pyaar ka tohfa....
yogesh..I came to your blog accidentally..and read your poem.. how apt these lines are.. I felt too close to them as I am in 'not so good phase' of my life! you certainly have a command over the language.. wish you happy blogging!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना. मैंने अपने ब्लॉग संग्रह को एक नया नाम दिया है.
जवाब देंहटाएंआपका पूर्ववत प्रेम अपेक्षित है .
www.the-royal-salute.blogspot.com
अपने अपने हिस्से का ग़म यहाँ हर किसी को सहना है
जवाब देंहटाएं-यही सत्य है. उत्तम रचना.
http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/270.html
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