03 अप्रैल 2010

"यादों में वो लोग आने लगे हैं"



यादों में वो लोग आने लगे हैं
ख्यालों में आकर सताने लगे हैं

कभी जिनके यकीं को जी भर के तोड़ा था
सेहरा में तपने को भटकता हुआ छोड़ा था
बहारों में आ कर डराने लगे हैं
यादों में वो लोग आने लगे हैं

सहारे को मेरे जो बढ़ते थे हाथ
दुआ देने को बस जो उठते थे हाथ
वो ख्वाबों में गर्दन दबाने लगे हैं
यादों में वो लोग आने लगे हैं

जाने क्यूं ये मुझको यकीं हो गया है
उन अजीज़ों को मेरा, पता चल गया है
अंधेरों में दरवाजा खटखटाने लगे हैं
यादों में वो लोग आने लगे हैं

आँखों में बसर कर दी कल रात सारी
 अब मुझको सुलाने की साज़िश है जारी
हवाओं से, माथा थपथपाने लगे हैं
यादों में वो लोग आने लगे हैं

डरता हूँ नींद से ख्वाबों से छुप रहा अब
रातों को चल सकी न जो चाल उनकी जब
उजालों में दिन के बुलाने लगे हैं
यादों में वो लोग आने लगे हैं |



- योगेश शर्मा

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