उस दिन,
सब ठहर गया...
चुप हो गया ठहाकों का शोर
रुक गयी,
खिलखिलाती हंसी...
मस्तियों की खनक,
एक धमाका हुआ,
और
सब चुप हो गये,
रह गया,
एक.... ठंडा सन्नाटा,
फटी हुई आँखें
और सुन्न दिमाग
फिर,
कुछ आवाजें बोलने लगीं
हर थोड़ी देर में
एक ही बात
हर तरफ,
हर तरफ,
"एक और मर गया "
कुछ दिनों तक
ये जिक्र चलता रहा
एक काँटा सा
दिल में पलता रहा,
धीरे धीरे
यह टीस भी ख़त्म हो गयी,
हम फिर ,
पहले जैसे हो गये,
मगर ,
एक अहसास साथ लिये
एक अहसास साथ लिये
एक अजीब सा, घिनौना सुकून
कि,
"शुक्र है !!
"शुक्र है !!
उन में कोई अपना न था" |
- योगेश शर्मा
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