अपनी हिंगलिश के लिये सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ ....पर 'मूड' ही कुछ ऐसा था क्या करूं |
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'ईमेल' से ही होते सब मेल दिख रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
वो सारे रस, सारे अलंकार उड़ गये
इबारतों में @# :) अजीब से ये 'लिंगो' जुड़ गये
कलम की जगह केवल नाखून घिस रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
इबारतों में @# :) अजीब से ये 'लिंगो' जुड़ गये
कलम की जगह केवल नाखून घिस रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
यादों में रह गया है, वो डाकिये का आना
पड़ोसी के लिफाफों से टिकटें चुराना
'इंटर- नेटी' कबूतर हर ओर दिख रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
रिश्तेदारी, दोस्ती भी 'वर्चुअल' हो गयी
लिखावट है 'फांट' , 'फेसबुक' चेहरा हो गयी
दिलों के तार सारे 'केबल' से जुड़ रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
लिफाफों पे भीनी खुशबू लगाता नहीं कोई
ख़तों में अब फूल भी छुपाता नहीं कोई
इधर से 'कापी' और उधर 'पेस्ट' कर रहे हैं
इधर से 'कापी' और उधर 'पेस्ट' कर रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
नाकाम इश्क ख़त कभी लौटा दिया करते थे
कभी छुपा और कभी जला दिया करते थे
इक 'बटन' से अब सब 'डिलीट' कर रहे हैं
हम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं
- योगेश शर्मा
चिट्ठी नहीं मेल लिख रहे है
जवाब देंहटाएंचिठ्ठी के टिकटों के पैसे बचा रहे है ...
योगेशजी अपने बढ़िया रचना लिखी है ... बधाई
इधर से 'कापी' और उधर 'पेस्ट' कर रहे हैं
जवाब देंहटाएंहम भी अब चिट्ठी नहीं, 'मेल' लिख रहे हैं...
अब बस सब यही कर रहे हैं ...!
बहुत बढ़िया रचना है. मन प्रसन्न हो गया.
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