प्रिय रुपाली को उसके जन्मदिन पर भेंट स्वरुप
----------------------------------------------------
इस सूने बेरंग से दिल में
तूने जब से किया बसेरा
सतरंगी हर शाम हो गयी
इन्द्रधनुष बन गया सवेरा
नयी रौशनी जीवन नभ पर
तेरे उजले मन से छाई
सिन्दूरी आभा इस घर में
तेरे गालों ने छटकायी
पावन प्रेम की वर्षा से
तुमने इस उपवन को सीचां
फूल खिलाया एक सुनहला
वासंती कर दिया बगीचा
असफलतायें मिली अगर कुछ
या मैं जब भी हुआ निराश
मुस्का के इन नीले नयनों ने
जगायी फिर इक नयी आस
मेरे बंजर जीवन में
हंसी तेरी लायी हरियाली
लगे अमावास हर ,पूनम सी
और बनी हर रात दिवाली |
- योगेश शर्मा
बहुत खूबसूरत एहसास लिए सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत एहसास
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत खूबसूरत
हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
जवाब देंहटाएंकुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....
मंगलवार 3 अगस्त को आपकी रचना ...संभालो ज़मीन अपनी ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/