फिर हैं खामोश हम, सांस रोके सन्नाटे है
मुलाकातों के दौर चुप्पियों में काटे है
शुरु करो कोई बात, तो कोई बात बने
आग सा तपता सफ़र, चांदनी रात बने
कोई कसम ही उठाओ, झूठे वादे ही करो
कोई शिकवा न सही, सर्द आहें ही भरो
लब ही खोलो कि बातों के हालात बने
आग सा तपता सफ़र चांदनी रात बने
डर कहीं मुझको भी है तुम भी शर्माते हो
मैं कहीं ख़ुद से और तुम मुझसे घबराते हो
तुम्हें चुपके से छू लूं तो करामात बने
आग सा तपता सफ़र चांदनी रात बने
उड़ती है दूर दूर ख़ुशी ख्वाब मेरे पहने
इन लम्हों में चली आती है कुछ देर को रहने
तुम जो ठहरो तो बहारों की शुरुआत बने
आग सा तपता सफ़र चांदनी रात बने
ठहरा है गली अपनी, न मुड़ जाए कहीं
वक्त का झोंका कहीं मायूस न उड़ जाए यूंही
थाम लें हाथ जो हम तो ये सौगात बने
आग सा तपता सफ़र चांदनी रात बने
शुरू करो कोई बात, तो कोई बात बने
शुरू करो कोई बात, तो कोई बात बने
बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंशुरू करो कोई बात, तो कोई बात बने
जवाब देंहटाएंबात से ही तो बात निकलेगी और फिर यकीनन बात बनेगी
धूप से तपता सफ़र चांदनी रात बने
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत खूबसूरत एहसास
सुंदर भावों से युक्त सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआँखों से गुज़र जाती थी ख़ुशी, ख्वाब मेरे पहने
जवाब देंहटाएंइन लम्हों में चली आती है, ज़रा देर को रहने
तुम ठहर जाओ तो बहारों की शुरुआत बने
धूप से तपता सफ़र चांदनी रात बने
सुंदर एहसासों से लबरेज रचना प्यार का तराना सुना रही है.
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जवाब देंहटाएंडर मुझे भी है थोड़ा सा, तुम भी शर्माते हो
जवाब देंहटाएंमैं कहीं ख़ुद से और तुम मुझसे घबराते हो
क्या विरोधाभास है ...एक दुसरे से शर्माना ....फिर भी एक दुसरे को चाहना ..सुंदर प्रस्तुति
धन्यवाद
सुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द ...
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव ...
प्रभावशाली रचना ...
बधाई
bahut khoobsurt
जवाब देंहटाएंmahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
जवाब देंहटाएंbeautiful composition and here is mine with same title ,I wrote long time back.
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