कुछ मोड़ बचे हैं किस्सों में
कोई बात पुरानी बाकी है
दुनिया के फ़सानों में अब भी
कहीं मेरी कहानी बाकी है
कुछ ख्वाब बचे हैं आँखों में
कुछ क़र्ज़ दबे हैं साँसों में
कई वादे पूरे होने हैं
कई कसमें खानी बाकी है
दुनिया के फ़सानों में अब भी
कहीं मेरी कहानी बाकी है
हवा ने गुलों को तोड़ दिया
पत्तों ने खिज़ा में छोड़ दिया
कोई बात नहीं इन शाखों में
अभी बहुत जवानी बाकी है
दुनिया के फ़सानों में अब भी
कहीं मेरी कहानी बाकी है
है मंज़िल क्या और क्या है सफ़र
दोनों में फ़र्क़ न आये नज़र
लेकिन क़दमों की सरगम फिर
राहों को सुनानी बाकी है
दुनिया के फ़सानों में अब भी
कहीं मेरी कहानी बाकी है
मेरे साहिल के दामन में
ये सोच के महल बनाना तुम
तूफ़ां ही संभला है लेकिन
मौजों की रवानी बाकी है
दुनिया के फ़सानों में अब भी
कहीं मेरी कहानी बाकी है
- योगेश शर्मा
दुनिया के फ़सानों में अब भी
जवाब देंहटाएंकहीं मेरी कहानी बाकी है,,,,,।बहुत सुंदर लिखते हैं आप ,
shukriya Madhulika ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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