06 जून 2010

'अन्दर का शैतान कह रहा'



  
कैसे  मुमकिन है कि हम तुम 
साथ  में  जिंदा  रहें,
साथ  खेले मुस्कुराएं,
हम  कदम  हम  दम  रहें,

जिंदा रहना है मुझे जो,
फिर तुझे मरना ही है,
लाशों पे रख के कदम,
आगे मुझे बढ़ना ही है,

मुस्कुराते चेहरों से,
मैं हर हंसी को बीन लूं,
भूख मेरी तब मिटे,
जब कोई निवाला छीन लूं, 

  इच्छाओं की गागर भरें    
घर जो सूने हों तो हों,
मेरी ज़िंदगी की माला में,
मनके तेरी साँसों के हो,

मैं रौशनी घर में करूं,
हर बार लाशें फूँक के,
कितना भी खा लें थके ना
जिन्नात मेरी भूख के,


कौन ये कहता है बहुत,
दुनिया में सबके ही लिये
आज- कल से आगे बढ़ के  
करना है पुश्तों के लिये

मुझको क्या मालूम अब ये 
स्वर्ग  क्या और मोक्ष  क्या,
भगवान्  ही करवा  रहा,
अब इसमें  मेरा  दोष क्या,


उसने  कहा  मैं खुश  रहूँ,
मुझको यही सन्देश  है,
मैं तो बस कठपुतली  हूँ,
सब उसका ही तो आदेश  है |


- योगेश शर्मा

4 टिप्‍पणियां:

  1. bilkul sahi kaha hai aapne
    सब उसका ही आदेश है |

    sanjay bhaskar

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  2. आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य .

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति...आज हर एक के अंदर स्वार्थ का शैतान बैठा है....

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति...आज हर एक के अंदर स्वार्थ का शैतान बैठा है....

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