तुम चले जाओगे तो,
ज्यादा बिगड़ क्या जायेगा
ज़िन्दगी में थोड़ा सा
बस खालीपन रह जायेगा
कुछ सफ़े यादों के ही
होँगे ज़रा बरबाद बस
और थोड़े वक़्त में
पन्ना नया जुड़ जायेगा
साँसे तो तुम लोगे ज़रूर,
जीना पड़ेगा हमको भी,
दो चार दिन में ख़ुद- बखुद
दरिया उतर ही जायेगा
हाथ छूटेंगे तो क्या
रहना इसी दुनिया में है
हंस कर मिलेंगे तुमसे जो
कभी वास्ता पड़ जायेगा
और कभी किसी रोज़ जो
साथ फ़िर चलना पड़े
इक दूसरे के क़दमों में
फासला बढ़ जायेगा
तुम चले जाओगे तो,
ज्यादा बिगड़ क्या जायेगा
ज़िन्दगी में थोड़ा सा
बस खालीपन रह जायेगा।
- योगेश शर्मा
"कुछ सफ़े ही यादों के,
जवाब देंहटाएंहोँगे ज़रा बरबाद बस,
और कुछ ही वक़्त में,
पन्ना नया जुड़ जायेगा"
वाह!बहुत खूब!
कुंवर जी,
कुछ सफ़े ही यादों के,
जवाब देंहटाएंहोँगे ज़रा बरबाद बस,
और कुछ ही वक़्त में,
पन्ना नया जुड़ जायेगा
वाह भई ! पहली बार आया आपके ब्लॉग पर ........अच्छी रचना ....बहुत सुन्दर ...सत्यता भी
http://athaah.blogspot.com/
लाज़वाब ।
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