दर्द उसका ओढ़ा हुआ सा लगे
अपना ग़म एक समंदर सा लगे,
बाहर आयी हैं दिल की उलझने सारी
मेरा चेहरा किसी अखब़ार के पन्ने सा लगे,
गुजरते पल में रिश्तों के सही अक्स दिखें
हर बुरा वक़्तआइने सा लगे,
तराशा इसको तो एहसास चुभते हैं सभी,
ये शायरी का हुनर अब किसी घुटन सा लगे,
दर्द उसका ओढ़ा हुआ सा लगे
अपना ग़म किसी समंदर सा लगे,
- योगेश शर्मा
गुजरते पल में, सही अक्स दिखें रिश्तों के,
जवाब देंहटाएंहर बुरा वक़्त, किसी आइने सा लगे,
बहुत बढ़िया रचना ...धन्यवाद
तराशा इसको तो, एहेसास चुभते हैं सभी,
जवाब देंहटाएंये शायरी का हुनर, अब किसी घुटन सा लगे,
Bahut sundar Yogesh ji,
सिर्फ कुछ टंकण त्रुटियों को नजरअंदाज न करे, जैसे अहसास
तराशा इसको तो, एहेसास चुभते हैं सभी,
जवाब देंहटाएंये शायरी का हुनर, अब किसी घुटन सा लगे, waah ek aur naayab heera...
shukriya Godiyaal ji..dhyan rakhungaa
जवाब देंहटाएंगुजरते पल में, सही अक्स दिखें रिश्तों के, हर बुरा वक़्त, किसी आइने सा लगे,
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
YOGESH JWAAB NAHI AAPKA......
जवाब देंहटाएंBEHTREEN PARASTUTU.........
लोग वाकिफ़ है, अंदर छुपी उलझनों से अब ,
जवाब देंहटाएंमेरा चेहरा किसी अखब़ार के पन्ने सा लगे....
बहुत बढ़िया
अच्छी रचना। आपको बधाई
जवाब देंहटाएंतराशा इसको तो, एहसास चुभते हैं सभी,
जवाब देंहटाएंये शायरी का हुनर, अब किसी घुटन सा लगे,
-सही है!