कैफ़ी साहब को नमन करते हुए यह रचना लिख रहा हूँ | काश, सिपाही का वो जज़्बा, जो उनके गीत में है, वो हमारे दिलों में भी जागे |
कर चले जो फ़िदा, जान- ओ- तन साथियों
कब करे उनकी परवाह, वतन साथियों
वो हमारे लिये, बस सिपाही ही थे
घर से निकले जो, करने कमाई ही थे
काम उनके अलग, कर्म अपने जुदा
क्या करे जो वतन ही, था उनका ख़ुदा
वो भी रहते मज़े से, हमारी तरह
चैन की नींद सोते, हमारी तरह
बाँध निकले क्यों, सर पे कफ़न साथियों
कब करे उनकी परवाह वतन साथियों
बर्फ और रेत में, जाने कबसे पड़े
खाई सीनों पे गोली, रहे फिर भी खड़े
चल दिए इस जहां से, जो रह के अनाम
बना दिया एक बुत, उन शहीदों के नाम
बस लपेटा तिरंगा, और ठोंका सलाम
चल दिए जला के ज्योति, कर के प्रणाम
साथ में यादें, कर के दफ़न साथियों
कब करे उनकी परवाह वतन साथियों
उनके माँ बाप बूढ़े ,वो घर वो जमीं
वो लख्ते जिगर और सभी हमनशीं
खूब जाने हुए, कि ना लौटेंगे अब
आने वालों को, हसरत से देखेंगे सब
सूने रस्तों पे, नज़रे गड़ाए हुए
अपने हाथों में, मेंहदी सजाये हुए
शायद बैठी हों, कितनी दुल्हन साथियों
कब करे उनकी परवाह, वतन साथियों
हर वो छब्बीस की, जनवरी की सुबह
याद करना है पड़ता, उन्हें बेवजह
और पंद्रह अगस्त, कभी अक्टूबर की दो
फिर वोही श्रधांजलि, रस्म गानों की हो
सजायें बाज़ार, कूचे, गलियाँ तमाम
गुजारें चर्चों में उनकी, एक और शाम
और अगली सुबह, सब ख़तम साथियों
कब करे उनकी परवाह, वतन साथियों
कर चले जो फ़िदा, जान- ओ- तन साथियों
कब करे उनकी परवाह, वतन साथियों
- योगेश शर्मा
sir bahut hi vicharotejak rachna...aapka vishay parivartan hua hai pichli kuch rachnaon se...anand aa raha hai..josh bhi...sabhi rachnaon ke liye abhaar...aur bharat ke veer sainiko ko naman...
जवाब देंहटाएंवही तो ...
जवाब देंहटाएंकुछ खास दिवस पर श्रद्धांजलि सिर्फ रस्मे निभाती हुई ...!!
बहुत सुन्दर! सभी जवानो को और शहीदों को नमन!
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंकमाल है जी ! गजब .....
रत्नेश त्रिपाठी
सभी जवानो को और शहीदों को नमन!
जवाब देंहटाएंसभी जवानो को और शहीदों को नमन!
जवाब देंहटाएंshat shat naman saheedo ko..
जवाब देंहटाएंbahut khub , likhte rahiye
जवाब देंहटाएंhttp://bejubankalam.blogspot.com/
शहीदों को नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर
जवाब देंहटाएंGreat writing Yogesh what it shows send me dill desh ke liye dadhakta hai jai hind
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