ज़िंदगी ने लाख चाहा
सूख जाए खून मेरा
रूह आँखे मूँद सोये
और ज़मीर हो जाए बहरा
मुझको भी लगता था डर,
मुझको भी लगता था डर,
ये कहीं सच हो ना जाए ,
चेहरे की मासूमियत
भीड़ में ग़ुम हो न जाए
सोच के फिर, थोड़ा मैंने
सोच के फिर, थोड़ा मैंने
गौर ख़ुद पर कर लिया
बीते सालों का हर लम्हा
फिर से दोबारा जिया
और ये पाया मैं खुश हूँ
और ये पाया मैं खुश हूँ
खुशियाँ जहां की देख कर
आँख हो जाती है नम सी
कोई आस टूटी देख कर
अब भी उफ़नता है लहू
अब भी उफ़नता है लहू
जब ज़िंदगी छीने कोई,
लुटता है कहीं घर किसी का
जब अस्मतें कुचले कोई
मस्तियों में डूबता हूँ
बहारें जब जब भी छायें
नाचता है मन खुशी से,
बरसें जब काली घटायें
कोई दोस्त मिल जाए कहीं
दिल मचल जाता है अब भी
देख कर चेहरे हसीं
कांपते हैं हाथ, जब जब
झूठ मैं हूँ बोलता
याद करता हूँ ख़ुदा को
डर से जब मन डोलता
दिल से अभी इंसानियत के
एहसास हैं उतरे नहीं
वक्त की कैंची ने अब तक
सारे पर कुतरे नहीं
परवाज़ जिसकी है सलामत
अब भी वो परिंदा हूँ मैं
जानकर अच्छा लगा, कि
आज भी जिंदा हूँ मैं
जानकर अच्छा लगा, कि
आज भी जिंदा हूँ मैं |
- योगेश शर्मा
bahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंaaj bhi jinda hoon main
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
आशाओं से भरपूर एक सार्थक रचना योगेश भाई। कभी की लिखी ये पंक्तियाँ याद आयीं-
जवाब देंहटाएंजीने की ललक जबतक साँसों का सफर होता
हर पल है आखिरी पल सोचो तो असर होता
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
परवाज़ जिसकी है सलामत
जवाब देंहटाएंऐसा अभी परिंदा हूँ मैं
जानकर अच्छा लगा कि
आज भी जिंदा हूँ मैं
waah bahut sundar...
जानकर अच्छा लगा कि
जवाब देंहटाएंआज भी जिंदा हूँ मैं
एहसास के जिन्दा रहने तक तो जिन्दा है ही हम, विश्वास के जिन्दा रहने तक तो जिन्दा है ही हम,
जी हाँ हम जिन्दा है
क्या सर.... कितना लाजवाब करेंगे? ग़ज़ब की और सुंदर अनुभूति....
जवाब देंहटाएंदिल से अभी इंसानियत के
जवाब देंहटाएंएहसास हैं उतरे नहीं
वक्त के कैंची ने अब तक
सारे पर कुतरे नहीं...
और ये देखकर अच्छा लगा की जिन्दा हूँ मैं ...अंतर्मन में इंसानियत जिन्दा रखने की जंग रहती है हमेशा ....!!
इस चेहरे की मासूमियत
जवाब देंहटाएंभीड़ में ग़ुम हो न जाए
दिल से अभी इंसानियत के एहसास हैं उतरे नहीं वक्त की कैंची ने अब तक सारे पर कुतरे नहीं
योगेश शर्मा जी आपको सलाम इतने अच्छे पगामात के लिए. इसे जारी रखें कभी तोह किसी का ज़मीर जागेगा?
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
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