बचपन की बातें बचपन के किस्से,
धुंधलाती यादों के चमकीले हिस्से,
इस आज से जुड़े हैं, गुज़रे कल के तार,
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
याद आते है वो मस्ती, बेफिक्री के पल,
जब आज से था मतलब, न सूझता था कल,
शरारतें, बदमाशियां ...बदमाशियों पे मार,
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
कन्धों पे भारी बस्ते, पढ़ाई की फिकर,
बड़ी बड़ी किताबें, इम्तहानों का डर,
सर्दियों से ही, गर्मी की छुट्टी का इंतज़ार,
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
किया होम वर्क नहीं तो स्कूल जाते डरना
सावन में रोज़ सुबह, बारिश की दुआ करना
सावन में रोज़ सुबह, बारिश की दुआ करना
यह मांगना टीचर को, चढ़ जाए फिर बुखार
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
सड़कों पे ठोकरों से डब्बे लुढ़काना
वो छोटी सी डंडी से पहिये माना
वो कंचे वो लट्टू, पिताजी की मार
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
दादी के साथ लेट के, तारों को तकते रहना,
सुनते हुए कहानी, देर तक जगते रहना,
सुनी हुई कहानी ,फिर सुनना बार बार,
जब दोस्ती थी सबसे हर रिश्ते में था प्यार
माँ का हाथ अपने, हाथों में बाँध सोना,
न मिलने पर सुबह, देर तलक रोना,
वो माथे पे पड़ती थपकी, वो गालों पे प्यार,
जब दोस्ती थी सबसे, हर रिश्ते में था प्यार
यादों के गहरे पानी में, होती है कभी हलचल,
उभर आते हैं बुलबुलों से, ऐसे ही सैकड़ों पल,
हर एक पल में सिमटा, इक पूरा संसार,
जब दोस्ती थी सबसे , हर रिश्ते में था प्यार
- योगेश शर्मा
YOGESH JI.
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....लगता है हर कोई ऐसा ही बचपन गुजारता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, बचपन की यादें ताज़ा कर दी!
जवाब देंहटाएंbahut sundar..........
जवाब देंहटाएंbahut sundar..........
जवाब देंहटाएंबचपन के दिन भी क्या दिन थे.........
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