26 सितंबर 2010

'खामोशियों के किस्से'



आँखों की चंद बातें, खामोशियों के किस्से
कुछ तेरी है कहानी, कुछ मेरी दास्ताँ है

मिलने  के  बाद  तुझसे  बस  ये  खबर  नहीं  है
आया  किधर  से  था और  जाना  मुझे  कहाँ  है

सितारों  से  कहो  चमकें किसी  और  आस्मां  में
नूरे  नज़र  से  तेरी  रोशन  मेरा  जहां  है

मेरा  ये दिल  तो  तेरे  सीने  में कैद  है फिर  
आवाज़  मुझमे  कैसी धड़कन  सी  क्यूं  यहाँ  है

ख़ानाबदोश था मैं अभी  थोड़ी  देर पहले
अब  तू है जिस ज़मीं पर मेरा  फ़लक वहाँ  है

आँखों की चंद बातें, खामोशियों के किस्से
कुछ मेरी है कहानी, कुछ तेरी दास्ताँ है



- योगेश शर्मा

5 टिप्‍पणियां:

  1. निराला अंदाज है. आनंद आया पढ़कर.

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  2. मिलने के बाद तुमको, बस ये खबर नहीं है
    आया किधर से था और जाना मुझे कहाँ है
    मिलने के बाद किसे खबर होगी भला ..

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (27/9/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  4. बेनामी27/9/10 2:21 pm

    bahut hi sundar....

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