'नक्श'
मिटाओ चाहे जितना
क़दमों के निशाँ
जो गुज़र गये
सो गुज़र गये
लगाओ लाख मरहम
न भरें रिश्ते ज़ख़्म
तीर चल गये
सो चल गये
वक्त कितना हो बुरा
कठिन कितना ही
है अपने हाथ
अगर कुछ
तो बस इतना ही
करें न दर्द के सौदे
न दिलों को तोड़ें
दमके यादों में सदा
नक्श कुछ ऐसे छोड़ें
- योगेश शर्मा
तो बस इतना ही
जवाब देंहटाएंकरें न दर्द के सौदे,
न दिलों को तोड़ें
दमके यादों में सदा,
नक्श कुछ ऐसा छोड़ें
बहुत खूबसूरत भाव .....आपने २३ तारीख का साप्ताहिक काव्य मंच नहीं देखा ...
सुंदर भावनात्मक अभिव्यक्ति ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचलते -चलते पर आपका स्वागत है
सुंदर सन्देश देती अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा... बेहद खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने!ज़ख्मों पर मरहम लगा कर उन्हें ठीक तो लिया जा सकता है पर उनके निशाँ मिटाए नहीं जा सकते बल्कि हलकी सी छुअन भी सिहरन पैदा कर देती है..बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाये..शुक्रिया ऐसे ख़यालात के लिए...
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