मैं से शुरू सारे सवाल,
मैं में छुपे सारे जवाब,
मैं कभी दुनिया से बेहतर,
मैं कभी सबसे ख़राब,
मैं की है अपनी रवानी ,
मैं उम्र भर का नकाब,
मैं पुलिंदा ख़ामियों का,
मैं फिर भी सबसे लाजवाब,
मैं परेशानी का सबब,
मैं गुनाहों की वजह,
मैं से जुड़े गम सैकड़ो हैं,
मैं तब भी दे कितना मज़ा,
मैं कभी पहुंचे फ़लक पर ,
मैं कभी पल भर में चूर
मैं कभी हैवान बनता ,
मैं कभी ईमां का नूर ,
मैं हैरानियों में घिरा,
मैं में है कितना गुरूर,
मैं कभी अपनी ही ताकत,
मैं कभी अपनों से दूर,
मैं कभी जीने का मातम,
मैं कभी पल भर में चूर
मैं कभी हैवान बनता ,
मैं कभी ईमां का नूर ,
मैं हैरानियों में घिरा,
मैं में है कितना गुरूर,
मैं कभी अपनी ही ताकत,
मैं कभी अपनों से दूर,
मैं कभी जीने का मातम,
मैं कभी मरने का डर,
मैं से है सारी ख़ुशी,
मैं जहाँ से बेखबर,
मैं ही मय, मयखाना मैं,
मैं ही मय, मयखाना मैं,
मैं ही साकी, मैं गिलास
डूबते मैं के भंवर में,
लेकिन बुझे ना, मैं की प्यास |
- योगेश शर्मा
मैं हैरानियों में घिरा,
जवाब देंहटाएंमैं में है कितना गुरूर,
मैं कभी अपनी ही ताकत,
मैं कभी अपनों से दूर,
main ka achha vishlesan badhai
वाह बहुत सुंदर और बहुत अच्छा विश्लेषण. योगेश जी बधाई
जवाब देंहटाएंडूबते मैं के भंवर में मगर बुझे ना मैं की प्यास ...
जवाब देंहटाएंमैं ही मैं है ...
बहुत लोगों में होता है ...
हमको :) अच्छी लगी आपकी कविता !
मैं ही मय, मयखाना मैं,
जवाब देंहटाएंमैं ही साकी, मैं गिलास
डूबते मैं के भंवर में,
लेकिन बुझे ना, मैं की प्यास |
बहुत खूब अगर मैं की प्यास बुझ जाये तो दुनिया स्वर्ग न बन जाये। सुन्दर रचना के लिये बधाई।
"डूबते मैं के भंवर में,
जवाब देंहटाएंलेकिन बुझे ना, मैं की प्यास"
सत्य वचन - बहुत सुंदर
"डूबते मैं के भंवर में,
जवाब देंहटाएंलेकिन बुझे ना, मैं की प्यास
इसमे दोनो बात हैं मयखाना भी अहंकार भी
बहुत खूब्