तुम न मिल पाए तो भी क्या ग़म है
दिल में हो बात ये क्या कम है
कभी है अक्स तेरा और कभी तेरे ख्वाब
चेहरे पर एक चमक सी हरदम है
है तेरी याद की ये सरगोशी
वैसे खामोशियों का मौसम है
न अपना दोस्त अब, न हूँ दुश्मन
खुद से इक बेरुखी का आलम है
हर खुशी क्यों ख़ता सी लगती है
बस इसी बात का तो मातम है
अभी उलटे हैं दास्ताँ के कुछ पन्ने
आँख मेरी अभी से क्यों नम है
- योगेश शर्मा
बहुत उम्दा...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्या बात है ..
जवाब देंहटाएंहर खुशी क्यों ख़ता सी लगती है
जवाब देंहटाएंबस इसी बात का तो मातम है.
सुंदर शेर. बढ़िया प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं"है तेरी याद की ये सरगोशी
जवाब देंहटाएंवैसे खामोशियों का मौसम है"
बहुत सुन्दर....
कुछ इसी तरह के भाव मेरे भी रूबरू हुए...
"है दिल बातें कुछ कब से दफ़न
बस तुझे याद दिलाने का मौसम है..!!"