नादानियां करने की कोई उम्र होती नहीं
तजुर्बों के नाकामी से गहरे बहुत हैं वास्ते,
कोशिशें सारी कभी मंजिलें पाती नहीं
उम्मीद के काँधे पे सर है मायूसियों की भीड़ में,
हमने दामन लाख झटके ये छोड़ कर जाती नहीं
शर्मिन्दगी के मुखौटे खरीदे हैं बाज़ार से,
कितनी भी कोशिश करें शर्म अब आती नहीं
हम कभी के ऊब बैठे शक्लें पुरानी देखते
नज़रें भला इस आईने की क्यों कभी थकती नहीं
नाराजगी बदली चुभन में,आयी समझ बहे फ़लसफ़े,
तब्दीलियाँ आयीं हो जितनी तल्खियाँ जाती नहीं |
- योगेश शर्मा
बहुत अच्छी रचना है...एक संदेश दे रही है
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है बहुत कहा है आपने हर एक शेर अपने आप मेन बहुत ही उम्दा लगा संदेश मयी खूबसूरत रचना....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंगलतियों की सारी वजहें कमसिनी होती नहीं ,
जवाब देंहटाएंनादानियां करने की कोई उम्र ही होती नहीं.
सावधानी बरतनी पड़ेगी. सुंदर रचना.