08 फ़रवरी 2012

'तुम्हें खबर तो होगी'






तुम्हें खबर तो होगी,
परेशां नहीं हूँ अब
सकते में था कुछ देर,
 हैरां नहीं हूँ अब

तुम गये तो लगा, 
सब कुछ उजड़ गया
तमन्नाएँ पालने का 
जज़्बा ही मर गया
कुछ दिन न हुआ होश 
मुझे सुबह शाम का
न किसी के वास्ते रहा 
न अपने काम का
गुजरते वक़्त ने लेकिन 
बदल दिया है सब
खाली थी ज़िन्दगी मगर 
वीरां नहीं हूँ अब

तुम्हें खबर तो होगी, 
परेशां नहीं हूँ अब


यूं तो ज़िंदगी से 
ज्यादा न पाया था
हर हसीन लम्हे को 
पल में गंवाया था
हमारे अफ़साने में कुछ 
 दास्ताँ सी बात है 
दिल के सेहरा में हरे 
 दरख़्त सी इक याद है 
साये में जिसके हंस के 
गुज़ारूंगा उम्र अब
यादों को कहीं कोई, 
छीन पाया भला कब

तुम्हें खबर तो होगी, 
परेशां नहीं हूँ अब
सकते में था कुछ देर,
 हैरां नहीं हूँ अब 


- योगेश शर्मा


10 टिप्‍पणियां:

  1. very good...
    बहुत अच्छी कविता...
    soft and strong..

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  2. बेनामी8/2/12 4:42 pm

    hamen bhi khabar hai aaj propose day hai...padhkar maja aa gaya kasam se

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  3. खाली थी ज़िन्दगी मगर
    वीरां नहीं हूँ अब

    तुम्हें खबर तो होगी,
    परेशां नहीं हूँ अब

    bas itna hi kafi hai.....

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  4. ये जज़्बा काबिल-ए-तारीफ है...

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  5. खाली थी ज़िन्दगी मगर
    वीरां नहीं हूँ अब....खूब।

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  6. वाह क्या बात है बहुत खूब लिखा है आपने! शायद गुज़रता हुआ वक्त ही हर मर्ज की दवा होता है जख्मों के निशान तो सदा ही रहा करते हैं मगर हाले दिल यूं ही ब्यान होता है।

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  7. बहुत ही सुन्दर अनुपम भाव संयोजन...

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