कुछ नए दोस्त कुछ रिश्ते पुराने आये
ख्वाब में छुप के जीने के बहाने आये
आँख खुलने पे मालूम चलेगा ये तो
आँख खुलने पे मालूम चलेगा ये तो
दर्द देने या साथ निभाने आये
अपनी हाथों की लकीरें वहीं आवारा हुईं
अपनी हाथों की लकीरें वहीं आवारा हुईं
जहां तकदीर में रहने के ठिकाने आये
बोझ उतारा हो दिल से या फिर एहसान लगा
बोझ उतारा हो दिल से या फिर एहसान लगा
जब भी रूठा हूँ वो ऐसे ही मनाने आये
थोड़ी खुद पे थोड़ी उन लोगों पे आयी है हंसी
थोड़ी खुद पे थोड़ी उन लोगों पे आयी है हंसी
जो लतीफे मेरे मुझको ही सुनाने आये
कल से रह जाएगा चौराहे का पत्थर बन के
कल से रह जाएगा चौराहे का पत्थर बन के
लोग जिस बुत को ख़ुदा आज बनाने आये
कुछ नए दोस्त कुछ रिश्ते पुराने आये।
कुछ नए दोस्त कुछ रिश्ते पुराने आये।
- योगेश शर्मा
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