पते बस मज़ारों के पुराने नहीं होते
आवारा हवाओं के ठिकाने नहीं होते
आवारा हवाओं के ठिकाने नहीं होते
थम जायेगी जब थक के तो अपना बयाँ देगी
चलती हुयी धड़कन के फ़साने नहीं होते
चलती हुयी धड़कन के फ़साने नहीं होते
उसके मशवरे पर जो ख़ार उगा लेता
बाग़ों में मेरे तब ये वीराने नहीं होते
अपनी ज़मीं से थोड़ा हम और जुड़े होते
रिश्ते जो आसमां से निभाने नहीं होते
खुशियाँ,नसीब, रिश्ते तो कब के हो गए गुम
ये दर्द ही कम्बख़्त बेगाने नहीं होते
खुशियाँ,नसीब, रिश्ते तो कब के हो गए गुम
ये दर्द ही कम्बख़्त बेगाने नहीं होते
वो आज भी लोगों से गले लग के मिलता है
कुछ लोग उम्र भर तक सयाने नहीं होते
कुछ लोग उम्र भर तक सयाने नहीं होते
आवारा हवाओं के ठिकाने नहीं होते...
वाह जनाब। क्या मुकद्दस अल्फाज हैं,आपके। बहुत खूब , जियो प्यारे।
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