है इंसान क़ैद पर ज़मीं का हाल अच्छा है
धुएं से घुटते आस्मां का साल अच्छा है
शोर कितना था अब आलम- ऐ -ख़ामोशी है
सुकूँ मिल जाए तो थोड़ा सा बवाल अच्छा है
ढके चेहरे,साँस सहमी और हाथ बंधे
मगर ज़िंदा हैं सो वक्त फ़िलहाल अच्छा है
क्यों किया,किसने किया, हुआ कैसे आख़िर?
जवाब हंस के ये कहता है "सवाल अच्छा है"
प्यार हो जाए बहुत तो है बिछड़ना दुशवार
दूरियां रखने को थोड़ा सा मलाल अच्छा है
अभी कुछ देर में बुरा ख़्वाब हो जाएगा फ़ना
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है
है इंसान क़ैद पर ज़मीं का हाल अच्छा है
धुएं से घुटते आस्मां का साल अच्छा है ।
- योगेश शर्मा
बहुत अच्छा लिखा है आपने ।है इंसान क़ैद पर ज़मी का हाल अच्छा है,,,,,,,शुभकामनाएँ सर।
जवाब देंहटाएंDhanyawad Mahulika ji
हटाएंबहुत खूब लिखा है.....
जवाब देंहटाएंआरती जी शुक्रिया। आभार
हटाएंबेहद खूबसूरत रचना।जो भी है जिस रूप में है आपका हर ख्याल अच्छा है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ,बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।जो भी है जिस रूप में है आपका हर ख्याल अच्छा है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेखा जी। आभार
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंखूबसूरत तो है, पर उससे भी बेहतर कि ये खयाल सच्चा है 👌
जवाब देंहटाएंमैं बस इस पृष्ठ पर ठोकर खाई और कहना है - वाह। साइट वास्तव में अच्छी है और अद्यतित है।
जवाब देंहटाएंus thokar ka abhaar jisne aapko is blog tak pahunchaya Swara ji. Aapke protsaahan ke liye asankhya dhanyawad.
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