28 नवंबर 2021

'वो जानते हैं '



वो जानते हैं कौन क़त्ल को आया था मेरे
मेरे होंठो पे निशां पाए गए लबों के तेरे

मेरे दिल के आर पार एक तीर था
तेरी नज़र से चला पर मेरी तक़दीर था
दिखे नहीं पर ज़ख्म थे बड़े गहरे
मेरे होंठो पे निशां पाए गए लबों के तेरे

मिटाने में सबूत कसर छोड़ गए हो
न छुप सके ऐसा असर छोड़ गए हो
ज़ेहन पे मेरे फ़ैले हुए थे नक़्श तेरे
मेरे होंठो पे निशां पाए गए लबों के तेरे

ज़माना लाख कुरेदेगा सच न कहना
कोई तफ़्तीश को आये तो बच के रहना
करेंगे कोशिशें पढ़ने की चेहरे को तेरे
कहीं दिख जाएं न आँखों में तेरी अक्स मेरे

वो जानते हैं कौन क़त्ल को आया था मेरे
मेरे होंठो पे निशां पाए गए लबों के तेरे।


- योगेश शर्मा 

2 टिप्‍पणियां:

Comments please