"कुछ गलतियों पे तल्ख़ियाँ कुछ तल्ख़ियों पे चुस्कियाँ"
भीड़ में जीते रहेऔर अकेले मर गएन ग़लत थे न सहीबस सफर तय कर गए
ज़िन्दगी भी शोर-ओ-ग़ुल काकैसा अजब बाज़ार हैहर कोई चिल्ला रहाबस शोर का व्यापार हैमिलती ख़ामोशी है आख़िरएक वही लेकर गए
न ग़लत थे न सहीबस सफर तय कर गए
बड़ी मुश्किल है , बस सफर तय कर गए और जीना तो कभी जाना ही न
Comments please
बड़ी मुश्किल है , बस सफर तय कर गए और जीना तो कभी जाना ही न
जवाब देंहटाएं