28 मार्च 2010

"अमाँ.....कौन से शहीद"




नाम हैं लगते सुने से,
भगत और आज़ाद के,
शायद पढ़े  बचपन में थे,
किस्से कहीं सुभाष के,
 
इम्तहान के पर्चों से ज्यादा,
इनका भला क्या काम है,
गांधी और नेहरु तो अब,
बस रास्तों के नाम हैं,
 
टोपी और खादी तो कब के,
फैशन पुराने हो गए,
आज़ादी को छुट्टी बने
कितने ज़माने हो गए,
 
शहीद कहते हैं किन्हें,
आजादी पायी कैसे भला,
सोच ये बेकार बातें,
करे वक्त बर्बाद क्या,
 
होगा कभी उजड़ा चमन,
ये बाग़ अब आबाद है,
कौन गांधी, कौन नेहरु,
अब वतन आज़ाद है |

 - योगेश शर्मा

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल, अब इनकी आवश्यकता है ही नहीं.

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  2. bahut khoob Yogesh ji..sach kaha kuch log yunhi apni jaan se gaye...aur ham unhe bhool gaye...aapse ek request hai meri bhi kavitayein zarur padhiyega...comment na bhi dijiye chalega...bs mere bhavon ko sarahiyega....
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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