अपने अंदर ये समेटे है तूफ़ान कई
इसकी खामोशी को कमज़ोरी समझने वाले
हमने देखे हैं ऐसे भी नादान कई
आज तो इसने घटाओं का है आँचल डाला
खुद को मासूम से रंगों में है रंग डाला
अक्स में लेकिन छिपे बैठे हैं आसमान कई
अपने अंदर ये समेटे है तूफ़ान कई
हाथ से अपने सफ़ीनों को सहारे देते
लाखों मौजों को हर रोज़ किनारे देते
करने वाला है साहिल ये वीरान कई
अपने अंदर ये समेटे है तूफ़ान कई
इस समंदर के संजीदा चेहरे पे न जा
अपने अंदर ये समेटे है तूफ़ान कई |
- योगेश शर्मा
Bahut Sundar...
जवाब देंहटाएंइस समंदर के संजीदा चेहरे पे न जा
जवाब देंहटाएंअपने अंदर ये समेटे है तूफ़ान कई |
बहुत उम्दा रचना.