आज भी तारों को चेहरे पर सजाया
आज सूरज जेब में फिर ले के निकला
चाल में फिर मस्तियाँ डाली हवा की
हौसलों को बाज़ूओं में भर के निकला
शाम को लौटा था कल, टूटा हुआ सा
सारी दुनिया से बहुत रूठा हुआ सा
एक चेहरा घर की चौखट पर मिला था
जो खिज़ाओं में बहारों सा खिला था
आँखों में उसकी न थी परवाह कल की
आज पर न रंज, न थी कल पे तल्ख़ी
देख कर चेहरा वो भूला ग़म मैं सारे
चुन लिए उसकी पलक से कुछ सितारे
रात भर में हौसले फिर जोड़ डाले
बस झटक कर खौफ़ सारे तोड़ डाले
उन निगाहों में झलक जिसकी मिली थी
उस यकीं को मुट्ठीयों में लेके निकला
आज भी तारों को चेहरे पर सजाया
आज सूरज जेब में फिर ले के निकला |
- योगेश शर्मा
वह!!! बहुत सुंदर प्रस्तुति... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशाम को लौटा था कल, टूटा हुआ सा
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया से बहुत रूठा हुआ सा
एक चेहरा घर की चौखट पर मिला था
जो खिज़ाओं में बहारों सा खिला था
वाह वाह, बहुत सुंदर क्या बात है .......
हौसला दिखाती सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंhaunsala aise hi kayam rehna chahiye.....bahut acche
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्द संयोजन क्या बात कही आपने
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंरात भर में हौसले फिर जोड़ डाले
जवाब देंहटाएंबस झटक कर खौफ़ सारे तोड़ डाले
उन निगाहों में झलक जिसकी मिली थी
उस यकीं को मुट्ठीयों में लेके निकला
आज भी तारों को चेहरे पर सजाया
आज सूरज जेब में फिर ले के निकला
और फिर कल नई खूबसूरत सी सुबह...
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