बादल का अम्बर से बूँद बूँद रिश्ता है
बाती का दीपक से बूँद बूँद रिश्ता है
पल भर के सुख को भी सांसें तरसती हैं
झड़ी खुशियों की सदा झोली न भरती है
सीपी का मोती से बूँद बूँद रिश्ता है
धूप में छाया सी आँचल में रहती है
जीवन भर वो अनथक धारा सी बहती है
ममता का बचपन से बूँद बूँद रिश्ता है
मन की गहराई से भावों को खेना है
उनको कहाँ सुख दुःख से कुछ लेना देना है
नयनों का आंसू से बूँद बूँद रिश्ता है
अंधियारा जग भर का जीवन पे छा जाये नन्ही सी एक किरण उजियारा कर जाए
जुगनू का रातों से बूँद बूँद रिश्ता है
चेहरे से, माथे से, हाथों से गिरते ही
साझा हो जातीं हैं मिट्टी पर पड़ते ही
धरती का फसलों से बूँद बूँद रिश्ता है
एक पल में कब सारे सपने समाते हैं
पल मिल कर जीवन को जीवन बनाते हैं
दिल का भी धड़कन से बूँद बूँद रिश्ता है
बादल का अम्बर से बूँद बूँद रिश्ता है ।
- योगेश शर्मा
bahut hi..sunder
जवाब देंहटाएंमन की गहराई से भावों को खेना है
उनको कहाँ दुःख सुख से कुछ लेना देना है
नयनों का आंसू से बूँद बूँद रिश्ता है
bahut bhavpoorn abhivyakti .badhai
वाह ......शब्दों से आपका ये रिश्ता मन को भा गया .......बहुत खूब :)
जवाब देंहटाएंनयनों का आंसू से बूँद बूँद रिश्ता है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रिश्ता. सार्थक प्रस्तुति.
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.
प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंएक पल में कब सारे सपने समाते हैं
जवाब देंहटाएंपल मिल कर जीवन को जीवन बनाते हैं
दिल का भी धड़कन से बूँद बूँद रिश्ता है !!
सुन्दर...
बहुत खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंlatest postऋण उतार!
बहुत बढ़िया ..क्या बात
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