04 अप्रैल 2013

'आँखों से हंस रहा है'

 


मुट्ठियों में जाने
क्या दर्द कस रहा है
कुछ बोलता नहीं है
आँखों से हंस रहा है
 
हंसी के साथ बहती
नमी छलक गयी कुछ  
मुस्कुराहटों में,
कोशिश झलक गयी कुछ
उसकी वो मुस्कराहट
चुगली सी कर थी
कहने लगी जो कहते
ज़बान डर रही थी
हंसी की झिर्रियों से
कुछ राज़ झाँक बैठे 
दिल की हाल कहने
हमराज़ झाँक बैठे
कुछ बोलने को शायद
वो भी तरस रहा है
पर बोलता नहीं है
आँखों से हंस रहा है
 
मैं कब से ये तमाशा
 चुपचाप देखता हूँ
हिम्मत के टूटने की
राह देखता हूँ
उसे भरम बहुत है
कि जान सख्त है वो
कट जाए पर झुके न
ऐसा दरख़्त है वो
हिम्मत में कहीं लेकिन 
कमज़ोर कड़ी होगी
कोई दर्द बाँट ले ये
उम्मीद पडी होगी
कभी तो फटेगा बादल, 
चुप चुप बरस रहा है
कुछ बोलता नहीं है
आँखों से हंस रहा है

वो लाख़ ना दिखाए 
लेकिन मैं जानता हूँ
कहीं उसको भी पता है 
कि मैं भी जानता हूँ
खामोशियाँ ये उसकी
सरगोशी कर रही है
असर अजीब सा कुछ
मुझपे वो कर रहीं है 
 फैसला है उसका
जो ग़म के साथ जीना  
 ज़हर दर्द का
तनहा तनहा पीना
चुप्पी से क्यों अपनी
फिर मुझको डस रहा है
कमबख्त बोल भी दे,
आँखों से हंस रहा है
 
मुट्ठियों में जाने
क्या दर्द कस रहा है
कुछ बोलता नहीं है
आँखों से हंस रहा है..



 
 

- योगेश शर्मा 

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