14 दिसंबर 2021

मैं तुम पे क्या लिखूँ


मैं तुम पे क्या लिखूँ
मैं तुमसे क्या कहूँ

क्या ये लिखूं कि लगा था
तुम्हें देख के पहली बार
कि जीवन अब तक जिया ही नहीं
रौशनी पायी, देखे मौसम, महसूस की थी हवा
पर रूह तक ऐसा असर हुआ ही नहीं

जो छुआ तुमको तो लगा उस पल
जी उठे हों ये भी मेरे संग 
और छुआ तुमने तो लगा ऐसे
मैं था अनछुआ ,अधूरा सा
जिए जा रहा था बेसबब जैसे

तुमने देखा तो वो एहसास जगे 
मैं था अनजान अब तलक जिनसे 
 दिल में सीधी उतर गयी थी नज़र
और देख बैठी वो सब कुछ 
जिससे मैं खुद भी था बेख़बर

यूं तो गुज़रीं थी कई चेहरों से नज़र मेरी
 और देखी थी कुछ आँखों में
एक झलक अपनी
जब तेरी आँखों के ज़ीने से पहुंचा दिल तक 
उसकी गहराई में सिवा अपने कुछ पाया नहीं

मैं तुमसे क्या कहूँ ,मैं तुम पे क्या लिखूँ

कैसे लिखूं
कि वो एहसास हो तुम जिसे सुकून कहते हैं
वो ख़्वाहिश हो जिसे जूनून कहते हैं
वो असर हो जिसे होश कहते हैं
वो खुमार हो जिसको नशा कहते हैं

वो बयाँ  हो जो कहता है
कि तुम तन्हा थे अब तक
कि मुझसे मिलना था
और जियोगे इस लिए कि मेरे साथ जीना है
क्योंकि वही तो होगी ज़िंदगी

बाकी तो बस पल थे, जो गुज़र गए
कुछ हादसे थे, जो बिखर गए
रास्ते के कंकरों की तरह 
पैर में चुभने के लिए
यादों में हलचल सी मचाने के लिए

क्या कहूं कि तुम वो सब हो
जो अब तक नहीं था
वो हर हसीं एहसास हो 
जिसके बारे में बस सुना था
पर समझा नहीं था 

वो धड़कन हो तुम
 जो दिल को चलने की वजह दे
और कहे मैं हूँ तेरे साथ हरदम
और ग़र मैं न रही जो
वजूद फिर तेरा भी न होगा हमदम

मैं तुमपे क्या लिखूं........ मैं तुमसे क्या कहूं



- योगेश शर्मा 

14 टिप्‍पणियां:

  1. भावप्रवण रचना ..... २०१० की भी कुछ रचनाएँ पढ़ीं फिर से .... लाजवाब सृजन ..

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    1. संगीता जी ,बहुत अरसे बाद आपकी टिप्पणी मिली, धन्यवाद्। मैंने कई सालों से ज़्यादा कुछ लिखा नहीं पर अब नियमित रहने की कोशिश है। जान कर अच्छा लगा की आपने पुराने पोस्ट पर ध्यान दिया। ऐसे ही प्रोत्साहित करती रहें। आभार

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार. 20 दिसंबर 2021 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  3. वाह! बहुत रूमानी अहसास!!!

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  4. वाह! शृंगार ओढ़े सरस सृजन गहन एहसास लिए ।
    सुंदर प्रस्तुति।

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  5. सचमुच बेहद खूबसूरत रचना,निसृत भाव अत्यंत सूंदर हैं।

    सादर।

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  6. वाह!!!
    बहुत ही भावपूर्ण एवं रुमानी एहसासों से लवरेज
    लाजवाब सृजन।

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  7. सर्वस्व समर्पित अनुरागी मन की प्रेमिल अनुभूतियों को संजोती सुंदर श्रृंगार रचना योगेश जी | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

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