कस के थामो हाथ हिम्मत का
थोड़ी ज़िद थोड़ा सबर रखो
आस्मां पे नज़र रखो
पंख मज़बूत हों परवाज़* से पहले
हौसले वो जो हर तपिश सह ले
ज़ोर कितना भी हो हवाओं में
न सरक पाए ज़मीं पैरों तले
उससे रिश्ता बनाकर रखो
आस्मां पे नज़र रखो
ख़्वाब देखो जो नींदें उड़ाए
जुनून ऐसा हर थकन जो मिटाये
रौशनी के भरोसे रहना क्या
रखना अँधेरे में उम्मीदें जलाये
दिल में सूरज उगाकर रखो
आस्मां पे नज़र रखो
दुनिया तुमको आज़माएगी
हर कदम मुश्किलें बढ़ाएगी
बस बहारों में संग चलती है
बिगड़े मौसम में छोड़ जायेगी
दोस्ती ख़ुद से बराबर रखो
आस्मां पे नज़र रखो
ज़मीं की भी ख़बर रखो
*परवाज़ - उड़ान
- योगेश शर्मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Comments please